रक्षा बंधन, जिसे भाई-बहन की मजबूत बंधन का त्योहार भी कहा जाता है, हिन्दू मासिक चंद्रमा के महीने श्रावण के पूर्णिमा दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक सुरक्षात्मक धागा (राखी) बांधती हैं, जिससे उनके प्यार और देखभाल का प्रतीक बनता है। भाई उनके बदले में उपहार और एक वादा प्रदान करते हैं कि वे अपनी बहनों की सुरक्षा करेंगे।
इस साल (2023), रक्षा बंधन 30 और 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस त्योहार की कई ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां हैं, जो भाई-बहन के बंधन की महत्वपूर्णता को प्रकट करती हैं। यहां 5 रोचक कहानियां दी गई हैं, जो रक्षा बंधन से जुड़ी हैं:
कृष्ण और द्रौपदी का रक्षा :
महाभारत में, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा कृष्ण की उंगली पर बांधा था, जब उनकी उंगली चोट आई थी। परिणामस्वरूप, कृष्ण ने उन्हें संरक्षण देने का वादा किया और बाद में उनकी मदद की जब उन्हें कौरवों की सभा में अपमानित किया गया था।
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं:
मेवाड़ की रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूं से मदद मांगी थी जब उसे आक्रमण का सामना करना पड़ा। हुमायूं ने उसकी मदद की, लेकिन वह जल्दी पहुंचने में विफल रहे। फिर भी, उन्होंने उसकी रक्षा की और उसकी यादगारी को मान्यता दी।
राजा बलि और देवी लक्ष्मी
दानशील राजा बलि भगवान विष्णु के भक्त थे। एक बार उन्होंने यक्ष से मांग की और भगवान विष्णु ने अपनी परीक्षा के रूप में एक ब्राह्मण बनकर उनके पास आकर तीन पग भूमि मांगी। राजा ने उसकी मांग स्वीकार की और उसकी दीदी, देवी लक्ष्मी ने राखी बांधी। यह उनकी रक्षा की और उन्हें सुरक्षित रखने का प्रतीक बन गया।
देवराज इंद्र और इंद्राणी की राखी:
दैत्य वृत्रासुर ने इंद्र के बाग़ पर हमला किया था। इंद्राणी ने अपने पति की सुरक्षा के लिए राखी बांधी और उसे जीतने से रोका।
युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को बांधी राखी
युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को रक्षाबंधन के रूप में एकत्रित किया था। महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि कैसे वह सभी संकटों से मुक्त हो सकते हैं, उन्होंने युद्ध में सफलता पाने के लिए कोई उपाय चाहा। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सलाह दी कि वे अपने सभी सैनिकों को रक्षासूत्र से बांधें। युधिष्ठिर ने उनकी सलाह मानी और अपनी सेना के सभी सैनिकों को रक्षासूत्र से जोड़ दिया। इस प्रकार, उनकी सेना युद्ध में विजयी हुई और इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।
रक्षाबंधन पर्व की विधि:
रक्षाबंधन के दिन भगवान की पूजा के बाद भाई-बहन स्नान करते हैं और फिर रोली, अक्षत, कुमकुम और दीप की थाल तैयार करते हैं। थाल में रंगीन राखियाँ रखकर उन्हें पूजते हैं और फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली और अक्षत से तिलक करती हैं। उसके बाद, भाई की दाहिनी कलाई पर रेशमी डोरी से बनी राखी बांधती हैं और मिठाई से भाई का मुँह मीठा कराती हैं। इसके बाद, भाई बहन को आशीर्वाद और उपहार देता है। राखी बांधते समय, बहन भाई की लम्बी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। इस दिन, बहनों के द्वारा बांधी गई राखी से भाई की सुरक्षा की भी कामना की जाती है। जो लोगों की बहनें नहीं होतीं, वे किसी को अपनी मानसिक बहन बना सकते हैं और उन्हें राखी बांधकर उनके साथी हो सकते हैं।
राखी किस हाथ पर बांधनी चाहिए?
राखी को दाहिनी कलाई पर ही बांधना चाहिए, क्योंकि हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, दाहिनी हाथ को शुभ माना जाता है और यह सामाजिक मान्यताओं में प्राथमिकता देता है।
राखी कब उतारनी चाहिए?
राखी कब तक पहनी रहेगी, यह भाई की विवेकानुसार होता है। किसी भी समय, जब भाई को लगे कि उसका यह धार्मिक संकेत समाप्त हो चुका है, तब वह राखी को उतार सकता है।
राखी बांधते समय कौन सा मंत्र पढ़ें?
राखी बांधते समय आप निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:
"येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"
भारत में रक्षा बंधन कब/कैसे शुरू हुआ?
1905 में बंगाल के विभाजन के समय, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक सामूहिक रक्षाबंधन त्योहार, रक्षाबंधन महोत्सव की शुरुआत की थी। उन्होंने इसे बंगाल के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच सद्भावना और एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया था।
Bhai grammar ke topic dalo
जवाब देंहटाएंJaldi hi
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