Amrish Puri Life and Love Story
अमरीश पुरी लाइफ और लव स्टोरी।
लाइफ स्टोरी: बॉलीवुड में मोगैंबो के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता अमरीश पुरी बेशक ही फिल्मी स्क्रीन पर विलेन के रूप में नजर आए होंगे परंतु वे अपनी असल जिंदगी में बहुत ही साधारण और सज्जन व्यक्ति थे।
इनका जन्म 22 जून 1932 को पंजाब में हुआ।
इनके पिता का नाम लाला निहाल सिंह और मां का नाम वेद कौर था। अमरीश पुरी के चार भाई बहन थे। चमन पुरी, मदन पुरी और भाई हरीश पुरी। इनकी बड़ी बहन चंद्रकांता थी।
उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत पंजाब से की।
कॉलेज की पढ़ाई शिमला के बी एम कॉलेज से की।
इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया की शुरुआत रंगमंच से की और फिर फिल्मी दुनिया में कदम रखा। इनका विवाह 1957 उर्मिला देवी घर से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं बेटा राजीव और बेटे नम्रता।
पदम विभूषण अब्राहम अलका जी से 1961 में हुई ऐतिहासिक मुलाकात ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया और इसके बाद वे भारतीय रंगमंच के मशहूर कलाकार बन गए। रंगमंच पर बेहतर प्रस्तुति के लिए उन्हें 1979 में संगीत नाटक अकादमी की तरफ से पुरस्कार दिया गया जो उनके अभिनय करियर का पहला बड़ा पुरस्कार था।
अमरीश पुरी के फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1971 में॔ "प्रेम पुजारी" से हुई। इन्हें फिल्मी दुनिया में ने अपना करियर बनाने में समय तो लगा परंतु इन्होंने विलेन के रूप में अपनी ऐसी छाप छोड़ी की जिसकी जगह आज तक कोई नहीं ले सका।
1987 में शेखर कपूर की फिल्म मिस्टर इंडिया मैं मोगैंबो की भूमिका से लोगों के दिलों में जगह बनाई। 1990 के दशक में उन्होंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे घायल और विरासत जैसी फिल्मों में सकारात्मक अभिनय से सभी का दिल जीत लिया। इसके अलावा इन्होंने करन अर्जुन और दिलजले जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी काम किया जो सभी की जुबां पर रही। दिलजले मूवी में इनका यह डायलॉग काफी प्रचलित हुआ था (आतंकवादी की प्रेम कहानी नहीं होती)।
उन्होंने लगभग 500 से भी अधिक हिंदी फिल्मों में अभिनय किया। अमरीश पुरी हमेशा से एक्टर बनना चाहते थे उन्होंने कभी विलन का रोल करने के बारे में सोचा भी नहीं था। अमरीश पुरी आज भी किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अगर गब्बर के बाद कोई खलनायक है तो वह मोगैंबो है।
अमरीश पुरी को जो भी रोल दिया जाता था वे उसे सार्थक बना देते थे। मिलन के रोल के अलावा इन्होंने अच्छे किरदारों में भी अपनी भूमिका निभाई थी।जैसे: भाई, पिता,दोस्त आदि। अमरीश पुरी के बिना शायद हिंदी सिनेमा अधूरा ही रहता । अमरीश पुरी ने अपने अभिनय कला का एक दमदार परिचय दिया है और हिंदी कला जगत में अपना मुकाम स्थापित किया है।
हिंदी फिल्मों के अलावा इन्होंने कन्नड़, पंजाबी, तेलुगु और हॉलीवुड जैसी फिल्मों में भी काम किया है।
इन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है
वर्ष 1986: में मेरी जंग के लिए सर्व से सहायक अभिनेता के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1994: में सिडनी फिल्म महोत्सव और सिंगापुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सूरज का सातवां घोड़ा के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1997: में फिल्म घातक के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1998: में फिल्म विरासत के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2000: में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए कलाकार पुरस्कार से सम्मानित किया।
वर्ष 2002: ग़दर एक प्रेम कथा में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का बॉलीवुड फिल्म पुरस्कार।
लव स्टोरी: फिल्मों में हमेशा दिखाया जाता है कि हीरो की लव स्टोरी होती है, परंतु ऐसा नहीं है। रियल लाइफ में एक विलेन की भी लवस्टोरी हो सकती है। फिल्मों में विलेन को केवल नेगेटिव रोल ही दिए जाते हैं जिसके कारण रियल लाइफ में भी लोग उन्हें एक विलेन के रूप में ही देखते। फिल्मी जगत में एक ऐसे विलन थे जो रियल लाइफ में बहुत ही सज्जन और साधारण व्यक्ति थे। जिनका नाम अमरीश पुरी था। अमरीश पुरी की जिंदगी से जुड़ा एक अहम किस्सा है। बात उस समय की है जब अमरीश पुरी एक बीमा कंपनी में क्लर्क का काम किया करते थे। उसी कंपनी में उनकी मुलाकात उर्मिला दिवेकर से हुई। सीधी-सादी और सादगी से भरी उर्मिला दिवेकर को देखते ही अमरीश पुरी अपना दिल दे बैठे थे। उनकी पहली मुलाकात जिंदगी भर का साथ बन जाएगी उन्होंने कभी ऐसा सोचा नहीं था। उर्मिला को भी अमरीश पुरी से मिलकर काफी अच्छा लगा और दोनों को एक दूसरे का साथ काफी पसंद आने लगा।
उस समय लव मैरिज का चलन काफी कम था।
जिसके कारण उर्मिला और अमरीश पुरी के इस रिश्ते से दोनों के परिवार ने एतराज जताया।
दरअसल बात यह थी कि दोनों ही अलग-अलग प्रांतों से थे। अमरीश पुरी पंजाबी थे और उर्मिला जी साउथ इंडियन थी। परंतु दोनों के प्यार के आगे परिवार वालों को झुकना पड़ा और फिर धूमधाम से दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद अमरीश पुरी और उर्मिला बहुत समय तक एक साथ काम करते रहें।
अंतिम सफर
बता दें कि हिंदी सिनेमा के दिग्गज खलनायक ब्रेन हेमरेज बीमारी के चलते 12 जनवरी 2005 को 72 वर्ष की आयु में इस फिल्मी जगत को छोड़कर चले गए। इनके जीवन की अंतिम फिल्म किसना थी, जो इनके निधन के बाद वर्ष 2005 में रिलीज हुई थी।
इस महान अभिनेता के न होते हुए भी लोग इन्हें आज भी याद करते हैं।