कौन है सन 2023 अंतरराष्ट्रीय हॉकी विश्वकप भारत टीम के कप्तान। जीवन परिचय
अंतरराष्ट्रीय हॉकी विश्व कप की मेजबानी भारत करेगा। इस हॉकी विश्व कप में भारत की तरफ से हरमनप्रीत सिंह को कप्तानी के लिए चुना गया।

इनका जन्म 6 जनवरी 1996 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। हरमनप्रीत भारत की प्रतिभाशाली हॉकी खिलाड़ियों में से एक हैं।
हॉकी टीम में यह डिफेंडर की भूमिका निभाते हैं,परंतु इनकी गोल करने की क्षमता इन्हें खास बनाती है। 15 साल की उम्र में हॉकी खेल में अपना करियर बनाने के लिए सुरजीत सिंह हॉकी अकादमी से जुड़ गए।
भारत की अंडर-19 टीम के लिए खेलते हुए उन्होंने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। मलेशिया में जोहोर कप के सुल्तान में उन्होंने 9 गोल किए और इसलिए उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट के अवार्ड से नवाजा गया।
हरमनप्रीत सिंह जुगराज सिंह को अपना आदर्श मानते हैं।
इन्हें कौन-कौन से अवार्ड से नवाजा गया है
सन 2023 में हॉकी विश्व कप कब और कहां खेला जाएगा
भारत का 47 साल का इंतजार हुआ खत्म। अब भारत के पास अंतरराष्ट्रीय हॉकी विश्वकप जीतने का अवसर है। क्योंकि 13 जनवरी से अंतरराष्ट्रीय हॉकी विश्वकप होने जा रहा है जोकि भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम और राउरकेला के बीजू पटनायक हॉकी स्टेडियम में होगा इस विश्व कप में भारतीय टीम भी खेलेगी। इस विश्व कप में भारत को पूल-डी में इंग्लैंड, स्पेन और वेल्स की टीमों के साथ रखा गया है। इस भारतीय टीम के कप्तान होंगे हरमनप्रीत सिंह और अमित रोहिदास उप कप्तान की जिम्मेवारी संभालेंगे।
हरमनप्रीत को कुछ समय पहले टूर्नामेंट टीम की कमान सौंपी गई थी। उन्हें मनप्रीत सिंह की जगह कप्तानी दी गई थी।
मनप्रीत को वे लोग भली भांति जानते होंगे जो हॉकी खेल में अपनी दिलचस्पी रखते हैं। मनप्रीत वो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान भारत को 4 दशकों के बाद ओलंपिक में पदक दिलाया था। अब देखना होगा कि हरमनप्रीत की कप्तानी में भारत अपने 47 साल के सपने को पूरा कर पाएगा कि नहीं।
एक समय हॉकी की बेहतरीन टीमों में गिने जाने वाली इंडिया ने 47 साल से विश्व कप नहीं जीता है। भारत ने अपना आखिरी हॉकी विश्व कप 1975 में जीता था, इसके बाद यह टीम द्वारा विश्व कप नहीं जीत सकी ।यह भारत का पहला और इकलौता विश्वकप था, इस बार कोशिश होगी कि अपनी जमीन पर खेले जा रहे विश्वकप में टीम यह खिताब जीते। भारत के पास यह एक सुनहरा अवसर है कि इस विश्व कप को जीतकर अन्य खेलों की तरह इस खेल में भी अपनी पहचान दुनिया भर में बनाए।
यह पुरुषों की एफआईएच हॉकी विश्व कप का 15वां संस्करण होगा। इस विश्व कप के लिए टीम चयन से पहले बेंगलुरु स्थित साई सेंटर में 2 दिन तक ट्रायल आयोजित किए गए थे। जहां 33 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, इसमें से 18 खिलाड़ियों का चयन किया गया जिनमें अनुभव और युवा जोश दोनों का अच्छा मिश्रण है।
इंडिया हॉकी टीम प्लेयर
गोलकीपर: कृष्ण बी पाठक और पी आर श्रीजेश
डिफेंडर: हरमनप्रीत सिंह,अमित रोहिदास,सुरेंद्र कुमार, वरुण कुमार, जर्मनप्रीत सिंह और नीलम संजीव सेस
मिडफील्डर: विवेक सागर प्रसाद,मनप्रीत सिंह, हार्दिक सिंह, नीला कांता शर्मा, शमशेर सिंह और आकाशदीप सिंह
फॉरवर्ड: मनदीप सिंह, ललित उपाध्याय, अभिषेक और सुखजीत सिंह
इंडिया हॉकी टीम कोच
मुख्य कोच: ग्राहम जॉन रीड
विश्लेषणात्मक कोच: ग्रैग स्टीफन क्लार्क
कोच: शिवेंद्र सिंह
वैज्ञानिक सलाहकार: मिशेल डेविड पेम्बर्टन
हॉकी विश्व कप की स्थापना
हॉकी खेल में विश्व कप की शुरुआत 1971 से शुरू हुई। हॉकी एक मैदानी खेल है। हॉकी विश्व कप अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफ.आई.एच) द्वारा कराया जाता। पहला हॉकी विश्व कप पाकिस्तान ने अपने नाम किया था। सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम है, उसने 1982 में मुंबई में हुए विश्व कप में 38 गोल किए थे। पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा बार हॉकी विश्व कप जीतने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है, उसने हॉकी विश्व कप को चार बार जीता है।
भारत में हॉकी का इतिहास
वैसे तो हॉकी का इतिहास अति प्राचीन है। यह दुनिया के सबसे पुराने खेलों में से एक है हॉकी की शुरुआत 1527 में स्कॉटलैंड से हुई थी।
परंतु भारत में इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी के अंत में और 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी।
इस खेल को ब्रिटिश साम्राज्य ने 1850 में भारतीय आर्मी में शामिल किया। इसके बाद 1855 में हॉकी क्लब की स्थापना कोलकाता में की गई।
1925 में भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई और इस से 1 वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ की शुरुआत हुई थी। भारतीय हॉकी संघ ने पहला अंतरराष्ट्रीय टूर 1926 में किया था। जब टीम न्यूजीलैंड दौरे पर गई थी। जहां भारतीय टीम ने 21 मैच खेले और जिनमें से 18 में जीत हासिल की।
इसी टूर्नामेंट में ध्यानचंद जैसे दिग्गज खिलाड़ी को दुनिया ने पहली बार देखा था।
कौन थे भारत को हॉकी खेल में डबल हैट्रिक दिलाने वाले दिग्गज
1928 ओलंपिक में अपना डेब्यू करते हुए भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया था। उस ओलंपिक में भारत ने 5 मैच खेले थे और 29 गोल दागे थे। जिसमें इनके खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआ था इस दौरान ध्यानचंद की हॉकी स्टिक से 14 गोल आए थे।
इसके बाद ध्यान चंद की हॉकी का ऐसा जादू चला कि उन्होंने 1932 और 1936 ओलंपिक में अपने दम पर भारत को दो और ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाएं। और उन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान भारत को गोल्ड मेडल में हैट्रिक बनवाई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ओलंपिक की वापसी हुई तो भारत को ध्यानचंद के अलावा एक और दिग्गज हॉकी खिलाड़ी मिला और बलवीर सिंह सीनियर जिन्होंने एक बार फिर भारत को लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाए।
यह हैट्रिक भारत ने 1948,1952, और 1956 में बनाई। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन गया।