82 वर्ष की आयु में महान फुटबॉलर पेले का हुआ निधन…

 82 वर्ष की आयु में महान फुटबॉलर पेले का हुआ निधन…

पेले का जन्म ब्राजील के छोटे शहर मिनास गेराइस में 23 अक्तूबर 1940 को हुआ था। उनके पिता क्लब स्तर पर फुटबॉल खेला करते थे। पेले की मां हाउसवाइफ थी


पेले के पिता का नाम डोनडिन्हो तथा माता का नाम सेलेस्टी अरांटेस था.

पेले ब्राज़ील के जानें मानें और दुनियां के सबसे बेहतरीन और महान फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक थे जिन्हें अपने दौर में King Of Football के नाम से जाना जाता था। आज भी दुनियां भर के लोग उन्हें फुटबॉल का शहंशाह मानते हैं। इतना ही नहीं फुटबॉल के इस महान खिलाडी को दुनिया में ब्लैक डायमंड (Black Diamond) और ब्लैक पर्ल के नाम से भी जाना जाता है।

इनके तीन बेटे, तीन बेटियां और तीन ही पत्नियां थीं।

इनके पिता भी एक फुटबॉलर थे परंतु वह इस फील्ड में अपना अच्छा कैरियर नहीं बना सके। 

इसीलिए उन्होंने पेले को एक महान खिलाड़ी बनाना चाहा और उनका यह सपना पेले ने पूरा भी किया।

पेले कैंसर से पीड़ित थे।

पेले को 29 नवंबर को सांस लेने में तकलीफ होने पर साओ पोलो के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उन्होंने कीमोथेरेपी का जवाब देना बंद कर दिया। पेले को पिछले साल सितंबर में उनके कोलन से ट्यूमर हटा दिया गया था और तब से वे नियमित रूप से अस्पताल में इलाज करवा रहे थे। 29 दिसंबर 2022 को उन्होंने अंतिम सांस ली और फुटबॉल जगत के एक महान खिलाड़ी ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

पेले के निधन पर पूरे फुटबॉल जगत में शोक की लहर है। मौजूदा पीढ़ी के तीन बेहतरीन फुटबॉलर्स, अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी, पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो और ब्राजील के नेमार ने पेले को श्रद्धांजलि दी है। 

भावुक हुए नेमार

ब्राजील और पेरिस सेंट-जर्मेन के सुपरस्टार नेमार ने अपने देश के महानतम खेल आइकन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा- पेले से पहले, '10' सिर्फ एक संख्या थी।  लेकिन वह सुंदर वाक्य अधूरा है। मैं कहूंगा कि पेले से पहले फुटबॉल सिर्फ एक खेल था। उन्होंने फुटबॉल को एक कला रूप दिया।

नेमार ने पेले के साथ कई तस्वीरें भी साझा कीं। उन्होंने लिखा कि पहले वाले ही चले गए लेकिन उनका फुटबॉल का जादू हमेशा जिंदा रहेगा और उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा राज करते रहेंगे उनके स्थान कोई नहीं ले सकता वह एक महान खिलाड़ी और फुटबॉल फील्ड के जादूगर थे


पेले की जीवन की दिलचस्प बातें

ब्राजील के एक छोटे से इलाके से आए पेले ने दुनिया में फुटबॉल की परिभाषा को ही बदल कर दिया। पेले ने ब्राजील को तीन बार विश्व चैंपियन बनाया। 1958, 1962 और 1970 में उनके रहते ब्राजील ने विश्व कप जीता।

अर्जेंटीना के फुटबॉलर डिएगो माराडोना के साथ पेले को साल 2000 में फीफा ने प्लेयर ऑफ द सेंचुरी भी घोषित किया था

फीफा वर्ल्ड कप में गोल दागने वाले सबसे युवा खिलाड़ी

1958 में पेले ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था। उन्होंने 17 वर्ष और 239 दिन की उम्र में 1958 वर्ल्ड कप में वेल्स के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में वर्ल्ड कप का अपना पहला गोल दागा था। इस तरह वह इस टूर्नामेंट में गोल दागने वाले सबसे कम उम्र के फुटबॉलर बन गए थे। उन्होंने 17 साल और 244 दिन की उम्र में 1958 वर्ल्ड कप के सेमीफइनल में फ्रांस के खिलाफ हैट्रिक गोल भी दागे।

इसके साथ ही पेले हैट्रिक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए। पेले ने फाइनल में भी गोल दागा था और अपनी टीम को विश्व विजेता बनाया था। पेले 18 साल की उम्र से पहले फीफा वर्ल्ड कप में गोल दागने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं।

पेले के नाम वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा असिस्ट (10) करने का भी रिकाॅर्ड दर्ज है

पेले ने लगातार दो साल 100 से ज्यादा गोल दागे

पेले के नाम दो साल 100 से ज्यादा गोल दागने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने 1959 में 127 और 1961 में 110 गोल दागे थे। विश्व में वह ऐसा करने वाले पहले और इकलौते खिलाड़ी हैं। जाम्बिया के फुटबॉलर गॉडफ्रे चितालू ने जरूर 1972 में क्लब और देश के लिए 107 गोल दागे थे, लेकिन पेले की तरह दो साल तक 100+ गोल का आंकड़ा नहीं छू सके।

25 सितंबर 1977 को जब पेले कोलकाता के मैदान में खेल रहे थे तो उनके प्रशंसक स्टेडियम के अंदर पेले-पेले चिल्ला रहे थे। मैदान के बाहर भी लोगों का हुजूम था, सड़कों पर गाड़ियां रेंग रही थीं। पेले जैसे खिलाड़ी मरते नहीं, अमर हो जाते हैं।

वास्तव में इनका निक नाम डीको था, किन्तु इनके पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ी बिले  के बाद से इनके दोस्तों ने गलत उच्चारण करते हुए इन्हें ‌‌पेले कहना शुरू कर दिया. तभी से इन्हें पेले कहा जाने लगा।

कहा जाता है कि इनके जन्म से पहले इनके जन्म स्थान पर बिजली का प्रबंध नहीं था।

लेकिन जब इनका जन्म हुआ उसी दिन से यहां बिजली आना शुरू हो गई इसलिए इनका नाम इनके माता-पिता ने बल्ब के आविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडीसन के नाम पर ही इनका नाम एडिशन रख दिया।

पेले सिर्फ 15 साल के थे जब उन्होंने सैंटोस को साइन किया. उन्होंने 7 सितम्बर सन 1956 को FC कोरिन्थिंस के खिलाफ अपना पहला मैच खेला जिसमे उन्होंने 4 गोल किये.

17 साल की उम्र में पेले वर्ल्डकप के सबसे कम उम्र के विजेता बन गये. उन्होंने इसके फाइनल में भी होम साइड स्वीडेन के खिलाफ 2 गोल किये।

सन 2010 में, वे न्यूयॉर्क के कॉसमॉस के आनरेरी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किये गये थे।

सन 2012 में, अपने खेल की उपलब्धियों के रूप में, उन्हें मानवीय और पर्यावर्णीय कारणों के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से आनरेरी डिग्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने यह सभी लक्ष्य कठिन परिश्रम के कारण ही हासिल किए।

जन्म से कोई इंसान महान नहीं होता वह अपने कर्म से ही महान बनता है। इसलिए हमें सदैव अपने कर्म लगन से करना चाहिए। कामयाबी स्वयं चलकर हमारे पास आएगी।



dad man

मेरा नाम बलराम है और मैं हरियाणा में रहता हूं और मेरे बारे में इससे ज्यादा जानने के लिए मेरा About us पेज देखें।

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